Gur sewa te bhagat kamai Shabad lyrics in Hindi, Punjabi & Roman - Bani - Sant Kabir Ji

Gur sewa te bhagat kamai Shabad lyrics in Hindi, Punjabi & Roman - Bani - Sant Kabir Ji

Gur sewa te bhagat kamai Shabad lyrics in Hindi, Punjabi & Roman - Bani - Sant Kabir Ji

About  Gur sewa te bhagat kamai Shabad :-

"Gur sewa te bhagat kamai " is Shabad written by Sant Kabir Ji. In this post, Shabad lyrics are provided in Punjabi, Hindi, and Roman language.

Gur sewa te bhagat kamai Shabad Credits

Title - Gur sewa te bhagat kamai
Bani - Sant Kabir Ji

Gur sewa te bhagat kamaishabad lyrics in Roman

Gur sewa te bhagat kamai,
Tab eh manas dehi payi.
Is dehi ko simreh dev,
So dehi bhaj har ki seiv.

Bhajo govind bhool mat jaaho,
Manas janamnka ehi laaho.
Bhajo govind bhool mat jaaho,
Manas janamnka ehi laaho.

Jaba lag jara Rog nahi aaya,
Jab lag kaal grassi nahi kaaya.
Jab lag bikal bhayi nahi bani,
Bhaj le re man sarigpaani.

Ab na bhajas bhajas kab bhayi,
Aavai any na bhajeya jaayi.
Jo kich karey soi ab Saar,
Phir pachutaaho na pavho paar.

So sewak jo laaya seiv,
Tin hi paaye Niranjan dev.
Gur mile ta k khule kpaat,
Bohar na aawe joni baat.

Ehi tera ausar eh teri baar
Ghaṭ bheetar tu dekh vichar.
Kehat Kabir Jeet Kai haar,
Bahu bidh kahiyo pukaar pukaar.

Gur sewa te bhagat kamai,
Tab eh manas dehi payi.
Is dehi ko simreh dev,
So dehi bhaj har ki seiv.


Gur sewa te bhagat kamai shabad lyrics in Hindi 

गुर सेवा ते भगति कमाई ॥
तब इह मानस देही पाई ॥
इस देही कउ सिमरह देव ॥
सो देही भज हर की सेव ॥ १ ॥

भजहो गोबिंद भूल मत जाहो ॥
मानस जनम का एही लाहो'॥१॥ रहाउ ॥
भजहो गोबिंद भूल मत जाहो ॥
मानस जनम का एही लाहो'॥१॥ रहाउ ॥

जब लग जरा रोग नही आइआ ॥
जब लग काल ग्रसी नही काइआ ॥
जब लग बिकल भई नही बानी ॥
भज लेह रे मन सारिगपानी ॥२॥

अब न भजस भजस कब भाई ॥
आवै अंत न भजिआ जाई ॥
जो किछ करह सोई अब सार ॥
फिर पछुताहो न पावहो पार ॥ ३ ॥

सो सेवक जो लाइआ सेव ॥
तिन ही पाए निरंजन देव ॥
गुर मिल ता के खुल्हे कपाट |
बहुर न आवै जोनी बाट ॥४॥

इही तेरा अउसर इह तेरी बार ॥
घट भीतर तू देख बिचार ॥ तू
कहत कबीर जीत कै हार||
बहु बिधि कहिओ पुकार पुकार ॥५॥

गुर सेवा ते भगति कमाई ॥
तब इह मानस देही पाई ॥
इस देही कउ सिमरह देव ॥
सो देही भज हर की सेव ॥ १ ॥

Gur sewa te bhagat kamaishabad full Lyrics in Punjabi -

ਗੁਰ ਸੇਵਾ ਤੇ ਭਗਤਿ ਕਮਾਈ॥
ਤਬ ਇਹ ਮਾਨਸ ਦੇਹੀ ਪਾਈ॥
ਇਸ ਦੇਹੀ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਦੇਵ॥
ਸੋ ਦੇਹੀ ਭਜੁ ਹਰਿ ਕੀ ਸੇਵ॥1॥

ਭਜਹੁ ਗੋਬਿੰਦ ਭੂਲਿ ਮਤ ਜਾਹੁ॥
ਮਾਨਸ ਜਨਮ ਕਾ ਏਹੀ ਲਾਹੁ ॥1॥ਰਹਾਉ॥
ਭਜਹੁ ਗੋਬਿੰਦ ਭੂਲਿ ਮਤ ਜਾਹੁ॥
ਮਾਨਸ ਜਨਮ ਕਾ ਏਹੀ ਲਾਹੁ ॥1॥ਰਹਾਉ॥

ਜਬ ਲਗੁ ਜਰਾ ਰੋਗੁ ਨਹੀ ਆਇਆ॥
ਜਬ ਲਗੁ ਕਾਲਿ ਗ੍ਰਸੀ ਨਹੀ ਕਾਇਆ॥
ਜਬ ਲਗੁ ਬਿਕਲ ਭਈ ਨਹੀ ਬਾਨੀ॥
ਭਜਿ ਲੇਹਿ ਰੇ ਮਨ ਸਾਰਿਗਪਾਨੀ ॥2॥

ਅਬ ਨ ਭਜਸਿ ਭਜਸਿ ਕਬ ਭਾਈ॥
ਆਵੈ ਅੰਤੁ ਨ ਭਜਿਆ ਜਾਈ॥
ਜੋ ਕਿਛੁ ਕਰਹਿ ਸੋਈ ਅਬ ਸਾਰੁ॥
ਫਿਰਿ ਪਛੁਤਾਹੁ ਨ ਪਾਵਹੁ ਪਾਰੁ॥3॥

ਸੋ ਸੇਵਕੁ ਜੋ ਲਾਇਆ ਸੇਵ॥
ਤਿਨ ਹੀ ਪਾਏ ਨਿਰੰਜਨ ਦੇਵ॥
ਗੁਰ ਮਿਲਿ ਤਾ ਕੇ ਖੁਲ੍ਹੇ ਕਪਾਟ॥
ਬਹੁਰਿ ਨ ਆਵੈ ਜੋਨੀ ਬਾਟ॥4॥

ਇਹੀ ਤੇਰਾ ਅਉਸਰੁ ਇਹ ਤੇਰੀ ਬਾਰ॥
ਘਟ ਭੀਤਰਿ ਤੂ ਦੇਖੁ ਬਿਚਾਰਿ॥
ਕਹਤ ਕਬੀਰੁ ਜੀਤਿ ਕੈ ਹਾਰਿ॥
ਬਹੁ ਬਿਧਿ ਕਹਿਓ ਪੁਕਾਰਿ ਪੁਕਾਰਿ॥5॥

ਗੁਰ ਸੇਵਾ ਤੇ ਭਗਤਿ ਕਮਾਈ॥
ਤਬ ਇਹ ਮਾਨਸ ਦੇਹੀ ਪਾਈ॥
ਇਸ ਦੇਹੀ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਦੇਵ॥
ਸੋ ਦੇਹੀ ਭਜੁ ਹਰਿ ਕੀ ਸੇਵ॥1॥

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